रामलला के समक्ष साष्टांग प्रणाम कर पूजन की माटी को प्रधानमंत्री मोदी ने लगाया मस्तक पर

– सनातन संस्कृति का लाजवाब प्रदर्शन, गवाह बना विश्व, दुनियाभर में देखा गया सीधा प्रसारण

वैन (हेमन्त कुमार शर्मा – दिल्ली) :: भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे तब (सन 1991 में) मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या गए थे। तब रामलला की प्रतिमाओं और जन्म भूमि स्थल को देखकर संकल्प लिया कि अब मैं अयोध्या तभी आऊंगा जब मंदिर निर्माण का काम शुरू होगा।

प्रधानमंत्री के पिछले छह वर्ष के कार्यकाल में नरेन्द्र मोदी कई बार उत्तर प्रदेश गए, लेकिन अयोध्या में रामलला के दर्शन नहीं किए।

इस दौरान कई बार मोदी को आलोचना का शिकार भी होना पड़ा कि उत्तर प्रदेश में गए लेकिन अयोध्या नहीं। लेकिन आज (5 अगस्त 2020 को) मोदी ने 1991 में लिया गया संकल्प पूरा कर दिया। मोदी ने भव्य तरीके से रामलला का मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। इसके साथ ही पांच सौ वर्षों से चला आ रहा संघर्ष भी खत्म हो गया।

अयोध्या में जन्मस्थल पर ही भगवान श्री राम का मंदिर बने इसके लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया। आज (5 अगस्त को) जब मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ तो पूरे देश ने हर्ष का माहौल देखा गया।

भारत वर्ष में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में रहने वाले रामभक्तों ने भी टीवी पर भूमि पूजन का समारोह देखकर खुशी जाहिर की। इस वैश्विक ख़ुशी के मौके को देश ही नहीं अपितु विदेश में भी विधिवत महसूस किया गया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की सनातन संस्कृति का प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अयोध्या में मोदी ने सुनहरी रंग का कुर्ता और हल्के हल्दी रंग वाली धोती पहन कर पहुंचे। कुर्तें पर सिंदूरी रंग का गमछा पहना। इस वेशभूषा में मोदी राम भक्त ही नजर आ रहे थे और साथ ही मंच की बागडोर अपने हाथ आते ही उन्होंने ऊँचे स्वर में कहा भी “राम काज कीन्हे बिनु, मोहि कहां विश्राम”।

रामलला की प्रतिमा के सामने जब मोदी ने साष्टांग प्रणाम किया तो पूरा देश भाव-विभोर हो गया।

यदि किसी देश का प्रधानमंत्री इस समर्पण भावना से स्वयं को प्रस्तुत करे तो देशवासियों का गौरवांवित होना स्वभाविक है।

वर्ष 2014 में जब नरेन्द्र मोदी पहली बार संसद भवन गए तो संसद की सीढ़ियों पर भी इसी तरह का साष्टांग प्रणाम किया था जिसके गवाह भी आप और हम बने थे। हम सभी को आज भी (पांच अगस्त को) वही दृश्य देखने को मिला।

जन्म भूमि पर मंदिर बनाने की पूजा करने से पहले मोदी ने अयोध्या में हनुमानगढ़ी जाकर विधिवत पूजा की। थाली में रखे दीपक से निकलती अग्नि को मोदी ने सनातन संस्कृति के अनुरूप प्रतिमा की ओर प्रवाहित किया। इससे प्रतीत हो रहा था कि मोदी अपने देश की संस्कृति पर कितना भरोसा करते हैं। इसी प्रकार भूमि पूजन के बाद मोदी ने मिट्टी को अपने माथे पर लगाया। जिस स्थान पर भूमि पूजन हुआ उसी स्थान पर अब रामलला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यानि मोदी ने इस मिट्टी को माथे पर लगाया है, जहां पर रामलला विराजमान होंगे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस मिट्टी में कितनी ताकत होगी?

प्रधानमंत्री मोदी ने मुहूर्त के अनुरूप दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर भूमि पूजन को विधिवत संपन्न किया। मोदी ने इसी परिसर में “पारिजात” का पौधा भी लगाया। मान्यता है कि “पारिजात” के पेड़ पर जो फूल लगते हैं उनसे “धन की देवी – लक्ष्मी” प्रसन्न होती है।

सर्वविदित है कि वर्षों से अयोध्या में रामलला टेंट में विराजमान थे। देशवासियों के लिए अब यह गौरव की बात है कि रामलला भव्य मंदिर में स्थापित हो जायेंगे।

वर्ष 1989 में मंदिर निर्माण के लिए देशभर से दो लाख 75 हजार शिलाएं मंगाई गई थी। उन्हीं में से आठ शिलाओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (5 अगस्त को) नींव में रखा है।

भूमि पूजन समारोह में मुख्य रूप से देश के प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख सरसंघ चालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और श्री राम जन्म भूमी ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास आदि उपस्थित रहे। भूमि पूजन की धार्मिक रस्मों को निभाने में श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंदगिरी महाराज की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

मंच से प्रधानमंत्री मोदी ने आधारशीला पट्टिका का भी अनावरण किया साथ ही ख़ास तौर पर तैयार की गई पांच रूपये मूल्य की डाक टिकट को भी जारी किया, जिसकी लगभग 15 लाख प्रतियां बिक्री के लिए उपलब्ध कराई जाएंगी।

Source :: vannewsagency

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