अनु-गीता पर आधारित शिक्षकों के आध्यात्मिक प्रशिक्षण द्वारा विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्धा की चुनौती को स्वीकार करने की आवश्यकता – गोयल

विहीस (कुरुक्षेत्र ब्यूरो – हरियाणा) :: “अनु-गीता पर आधारित शिक्षकों के आध्यात्मिक प्रशिक्षण द्वारा विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्धा की चुनौती को स्वीकार करने की आवश्यकता है। “ ये शब्द पूर्व कुलपति तथा कुरुक्षेत्र आधारित नीडोनॉमिस्ट प्रोफेसर एम.एम. गोयल ने कहे। वह आज ‘नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षकों की भूमिका’, ’विषय पर इंटरनेशनल चैंबर फॉर सर्विस इंडस्ट्री द्वारा आयोजित 480 वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। डॉ. गुलशन शर्मा, डीजी-आईसीएसआई ने स्वागत सम्बोधन और प्रो. एम. एम. गोयल की उपलब्धियों का प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।

प्रो. गोयल का मानना है कि अत्याधिक जनसंख्या के साथ लापरवाही से सावधान और बेकार से उपयोगी भारतीय युवाओं में रूपांतरण नई शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में सबसे बड़ी चुनौती है।

प्रो. गोयल ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने हेतु हमें शिक्षकों की कमी को कम करने के लिए वरिष्ठ छात्रों में से छाया शिक्षकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

प्रो. गोयल का मानना है कि शिक्षकों की बिरादरी को भारत की ज्ञान अर्थव्यवस्था में सरस्वती के बच्चों के रूप में जाना जाता है जहां लक्ष्मी के समान ‘सरस्वती’ की पूजा की जाती है।

हमें स्ट्रीट स्मार्ट शिक्षकों की आवश्यकता है जिनको सरल, नैतिक, कार्रवाई उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी होना चाहिए।

प्रो. गोयल ने कहा कि सभी प्रकार के अपराधों को नहीं कहने के लिए आध्यात्मिक उत्साह की आवश्यकता है क्योंकि शिक्षा में बिगड़ते मानक आध्यात्मिक दिवालियापन और व्यावसायीकरण के कारण होते है।

प्रोफेसर गोयल का मानना है कि शिक्षा को प्रासंगिक बनाने हेतु हमें स्ट्रीट स्मार्ट शिक्षकों की आवश्यकता है जिनको सरल, नैतिक, कार्रवाई उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी होना चाहिए।

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